बादल कैसे बनते हैं? यह क्यों गरजते हैं ? बादलों के प्रकार एवं उनके बनने के कारण एवं गरजने के कारण।
बादल कैसे बनते हैं यह क्यों गरजते हैं यह जानने से पहले हम जान लेते हैं कि बादल बनते कैसे हैं
बादलों का बनना
- हम जानते हैं कि नदियों, झीलों, तालाबों और सागरों का पानी सूर्य की गरमी से भाप में बदल जाता है। यह भाप वाष्प के रूप में हवा में मिल जाती है। वाष्प मिली गर्म हवा हल्की हो ऊपर आसमान में चली जाती है। जब हवा से भरे वाष्प एक स्थान पर एकत्र होते हैं तो वे धुएं जैसे दिखाई देते हैं। इसे ही बादल कहते हैं। बादल दस प्रकार के होते हैं। परंतु विभिन्न आकारों और आकृतियों के आधार पर इन्हें चार मुख्य भागों में बाँटा गया है।सायरस बादल
- सायरस बादल सफेद रंग के होते हैं और पक्षियों के पंखों जैसे दिखाई देते हैं। ये बर्फ के छोटे कणों से बने होते हैं। इनकी ऊँचाई 8000 से 11000 मीटर के बीच होती है।स्ट्रैटस बादल
- इन बादलों का निर्माण लगभग 2400 मीटर की ऊँचाई पर होता है। ये धुँध की परतों जैसे दिखाई देते हैं। ये बादल खराब मौसम और बूंदाबांदी के सूचक होते हैं।क्यूमुलस बादल
- ये बादल लगभग 1220 से 1525 मीटर की ऊँचाई पर बनते हैं।ये ऊपर से गुंबद जैसे और नीचे से सपाट होते है। ये आकाश में सफेद पहाड़ या कपास के ढ़ेर जैसे दिखाई देते हैं।निम्बोस्ट्रैट्स बादल
- ये बादल बहुत कम ऊँचाई पर बनते हैं। ये पानी के नन्हें कणों से बने होते हैं। इनका रंग गहरा भूरा अथवा काला होता है। यही वे बादल हैं जो धरती पर वर्षा करते हैं। सबसे अधिक ऊँचाई पर बनने वाले बादलों को नाक्टील्यूमैंट बादल कहते हैं। इनकी ऊँचाई 48000 से 80000 मीटर तक हो सकती है।अब आपने बादलों के बनने के कारण समझ लिया है तो अब हम जान लेते हैं कि बादलो मैं गर्जन क्यों होता है।
बादलों में गर्जन
- यह मुख्य रूप से बादलों में अचानक से तापमान में बदलाव के कारण होता है। यह जब दो अलग तरह के बादल आस-पास आ जाते हैं, जिसमें एक गर्म और दूसरा ठण्डा होता है। इससे अचानक से ऊर्जा बाहर निकलने लगती है और इसी के कारण चमक और गरज के साथ बिजली भी गिरती है। यह बिलकुल उस तरह का है, जैसे एक गर्म बर्तन पर ठंडा पानी डालने जैसा। जिससे ऊर्जा निकलती है और आवाज भी आता है। लेकिन तापमान में अधिक बदलाव होने के कारण ऊर्जा बिजली का रूप ले लेती है। ऐसा मुख्य रूप से तब होता है, जब तापमान गर्म होता है और ऊपर की ओर सफ़ेद बादल हो जो सूर्य के प्रकाश में अधिक गर्म हो जाता है और जब दूसरे क्षेत्र से ठंडी हवा के साथ वर्षा वाले बादल भी आ जाते हैं। इससे अचानक तापमान में बदलाव आ जाता है। लेकिन जब यह शांत हो जाता है तो बिजली भी धीरे धीरे शांत हो जाती है। जहाँ केवल एक ही प्रकार के मौसम हो और दूसरे तापमान के बादल न आते हों तो वहाँ बिजली नहीं बन पाती और न ही कोई गरज या चमक होती है।तो अब आप समझ ही गए होंगे कि वाष्पीकरण के द्वारा ज्यादा पानी वाष्प बनकर जब ज्यादा वास्प एकत्रित हो जाती हैं तभी बादलों का निर्माण होता है ।और बादलों का ऊपरी हिस्सा जहां पर सूर्य का प्रकाश पड़ता है वह ज्यादा गर्म और निचला हिस्सा जहां पर सूर्य का प्रकाश नहीं पड़ता है वह ठंडा होता है अगर इसी जगह दूसरी ओर से कोई ऐसा बादल आ रहा है जो कि ज्यादा भारी है और पहले से मौजूद बादल के ठीक नीचे आ जाता है जिसके कारण उसकी आए हुए बादल की ऊपरी गर्म सतह और वहां पर ठहरे हुए बादल की निचली सतह अगर दोनों मिल जाए तो वहां पर एक विशेष तौर पर गर्म और ठंडे बादल सतह आपस में मिल जाने के कारण बहुत भयंकर ऊर्जा उत्पन्न होती हैं। और वह बिजली में रूपांतरित हो जाती हैं जिसके कारण गर्जन उत्पन्न होता है । और हमें सुनाई देता है क्योंकि बिजली की स्पीड ज्यादा है इसलिए हमें पहले सुनाई देता है और गर्जन की स्पीड धीमी है इसलिए हमें बाद में सुनाई देता है
सो अब आप समझ ही गए होंगे कि बादल कैसे बनते हैं यह क्यों गरजते हैं।


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